Sunday 7 June 2015

चुनमुन चूहा



पढ़ने पर तो हास्य कविता का सा बोध कराती हैं मेरी यह पंक्तियाँ परन्तु सत्य बताऊँ.....कुछ 4-5 वर्ष पहले घर में चूहे ने सेंध मारकर कितने ही दिन मेरे घर को अपने कब्ज़े में रखा और मेरी स्थिति ठीेक ऐसी ही हास्यास्पद कर दी थी| इसीलिए तो कलम से यह पंक्तियाँ हँसते मुस्कुराते हुए कागज़ पर उतर गई थी|

अभी मुझे किसी ने सन्देश भेजा की काफी गंभीर दिखता है मेरा व्यक्तित्व , क्यूंकि गंभीर ही लिखा है अभी तक| पर वास्तव में ऐसा तो नहीं है....यही सिद्ध करने की कोशिश में आपसे बाँट रही हूँ अपनी मुस्कान, माध्यम है ये मुस्कुराती मेरी पंक्ति......


चुनमुन चूहा 



चुनमुन चूहा बड़ा शैतान, घर में घुसता सीना तान
जो भी उसको भाता है, सबको चट कर जाता है ....
झाड़ू पकडे पीछे दौड़ाये, मम्मी को करता हैरान
चुनमुन चूहा बड़ा शैतान!!!

उसे पकड़ने पिंजरा लाये , कांटे में रोटी अटकाए...
रोटी बाहर ला चबाये, पिंजरे को ठेंगा दिखलाये...
सारी कोशिश हुई नाकाम, चुनमुन चूहा बड़ा शैतान!!

उसे मारने 'रेट किल' (rat kill) लाये,
चीनी में उसको लिपटाये
बिस्कुट सा 'रेट किल' को चबाये,
सारे पाइजन (poison) फुस्सम्फान,
चुनमुन चूहा बड़ा शैतान!!!

रोज ही करते ढेरो उपाय ,
 कैसे उससे मुक्ति पाये ...
सारे उपाए धता बताये,
मुँह बना के हमे चिड़ाए .....

हमे चिड़ा के रोज छकाए, अपने पीछे कितना भगाए
है कोई जो हमे बचाये, मुश्किल में पड़ी है  जान
चुनमुन चूहा बड़ा शैतान...







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