Wednesday 25 March 2015

My Humble Tribute to Shaheed Hemraj




शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के साथ, आज याद करें उस वीर जवान हेमराज को भी जिसने पिछले ही बरस वतन के लिए अपना शीश कटा दिया पर झुकाया नहीं| पाकिस्तानी सेना ने इस वीर का सिर धड़ से अलग करके जहाँ अपने कायर व कमजोर होने का सबूत दिया वहीँ इस वीर सपूत ने, अपना सिर कटने से ठीक पहले, "भारत माता की जय" का जयकारा लगाकर भारत माता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया|

कई बार सोचती हूँ कि आखिर किस मिटटी के बने होते हैं यह वीर और आखिर चलता क्या है उनके मन में?

शहीद हेमराज की शहादत के कुछ माह बाद, एक दिन, बेटे ने स्कूल में होने वाले "फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन" (fancy dress competition) के लिए जब हेमराज का रूप लिया और 'भारत माता कि जय' का नारा लगाया तो शायद वीर हेमराज के हृदय की आवाज़ और रगों के खौलते रक्त ने इन पंक्तियों का रूप ले लिया|  इस वीर के मन का मंथन करने का प्रयास करते हुए मेरी यह पंक्तियाँ समर्पित कर रही हूँ उन तमाम देशभक्तों को, जो कल भगत सिंह व आज हेमराज कि भांति देश के लिए अपना सिर कटाने को सदा तैयार रहते हैं पर इसे झुकाना, न इन्हे मंजूर था न है !!

शत शत नमन करती मेरी यह पंक्तियाँ...


                                                भारत माता की जय .....भारत माता की जय






भारत माता की जय .....भारत माता की जय 
गूंजा करता सदा यही माता मेरे कर्णो में...

रग-रग तूने सींची माता पग-पग तुझसे संवरा है,
हर कण तेरा पावन माता, हर कण की है तू विधाता ....

सौगंध तेरी न रुकने दूंगा, तेरे आँचल की सब लहरों को...
शपथ मुझे सीने पर लूंगा दुश्मन के सब कहरों को ...

तुझपर मरकर मिट-मिट जाना, चाहूँ सारे जन्मों में...
 देशभक्ति का लहू खौलता माता मेरी धरणो में ....

आँख उठा देखा जिसने, लिखा जायेगा मरणों में...
तेरी रक्षा करते जीना-मरना, आता मेरे धर्मो में...

ऐसे कई शीश न्यौछावर...ऐसे कई शीश न्यौछावर...
माता तेरे चरणो में ...माता तेरे चरणो में!!

Copyright-Vindhya Sharma

Thursday 5 March 2015

जन्म लेना ही है साहस

 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के निकट आते ही विभिन्न समारोहों का आयोजन व उनमे महिलाओं का महिमामंडन, वर्षों से चली आ रही एक सुनियोजित सी परंपरा है| उन्नति पथ पर अपनी राह संवारते आगे बढ़ती महिला इन आयोजनों को, मुड़कर देखती जरूर है किन्तु मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाती है| उसकी यह मुस्कराहट इस महिमामंडन के लिए होती है| हर क्षेत्र के विभिन्न श्रेष्ठ पदों को संभाल-संवार रही महिलायें, आज भी गर्व से तो कभी गंभीरता से, अपने स्त्री जन्म के विषय में सोचती जरूर हैं| अपने एक ही जीवन में, अनेक सीमाओं के अंतर्गत, कितनी ही भूमिकाओं का निर्वहन कुशलता व प्रसन्नतापूर्वक कर रही है, आज भी महिला|

२० वर्ष पूर्व की याद मन को ताजा सा स्पर्श देती है, जब कॉलेजों में, सत्ताइसवें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में, "नारी होने का अहसास" विषय पर विभिन्न संगोष्ठियों व कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा था व छात्र छात्राओं से भी विचार आमंत्रित किये जा रहे थे| अपनी मित्र के साथ, इस दिए गए विषय के दर्शन को सहानुभूति, नाराजगी, प्रश्नचिन्ह तो कभी गर्व के भावों के साथ विमर्श करते हुए कुछ पंक्तियाँ स्वतः ही कागज़ पर उतर आईं| इन पंक्तियों से जुडी एक सुखद स्मृति यह भी है कि जब मैने इन्हे समारोह में  भिजवाया तो कई जानी मानी कवियत्रियों की कविताओं से सुसज्जित एक पुस्तक में इन्हे , प्रकाशन हेतु स्थान दिया गया|
'एक जीवन में अनेक जन्मों का संगम", यह सत्य मेरी लिखी इन बरसों पुरानी पंक्तियों में आज भी, उतनी ही  सच्चाई से धड़क रहा है न ..






जन्म लेना ही है साहस


बालिका एक,
बेचैनी को मन ही में सहती है...
शहनाइयों के शोर में,
खुद से यह कहती है...

'है मौसम परेशां सा,
लगे अब जीवन मेहमां सा,
परसों ही दुनिया में आये हैं,
कल ही तो थोड़ा मुस्काये हैं...

और आज....
एक कहानी खत्म..

कल दूसरा मेरा जनम है,
निभानी विवाह की रसम है||'

और दुनिया,
वैसी ही रहती है...

पर,
बालिका वही,
शादी बाद, बन औरत यह कहती है...

'है आभास मुझे खुद के बदलने का..
फूलों के महकने और चिड़ियों के चहकने का...
सत्य ही किसी का ये कथन है...
ख़ुशी और डर का ये संगम है...
कल तीसरा मेरा जनम है
देना किसी को नया जीवन है||'

पूछते हमसे जो हैं नारी होने का एहसास...
कहो उन्हें, यह रूप ले जन्मना ही है साहस

कई जन्मों- उपजन्मों का नाम स्त्री है,
दुर्गा तो कभी ये कहलाई सती है...

एक जन्म माँ से लिया,
जन्म दूजा, विवाह ने दिया...
बन माँ स्वयं, पाया जन्म तीजा ....

एक जीवन में कई जन्मों के लक्षण 
सत्य है, होना स्त्री है विलक्षण !!
होना स्त्री है विलक्षण !!





Thanks for reading my words.