Thursday 19 February 2015

वक्त

अपने किसी खास का दुःख हमको भी कितना दुखी कर जाता है न...और उसके दुःख को किसी भी तरह कम न कर पाने की वह विवशता और भी दुखदायी होती है| शायद हर व्यक्ति अपने तरीके से इस स्थिति को संभालता या सामना करता है|
मैं भी अपनी उस ख़ास को धीरज से अच्छे वक्त का इन्तजार करने की सलाह देने के आलावा कुछ नहीं कर सकी थी| पर आज संतुष्ट हूँ, जब देखती हूँ कि उसके सब्र को वक्त ने अपनी कसौटी से परख कर खरा बना दिया| आज उसके चेहरे पर खिलती हंसी वक्त कि दी ख़ुशी है|
मुझे याद है, सही सत्रह वर्ष पूर्व, कितनी आसानी से मैने उसे सही वक्त का इंतज़ार करने कि सलाह दे दी थी, कुछ इस तरह.....




आंसू आँखों का,
मरहम ज़ख्मों का,
ओठों का गुलाब वक्त है...

उम्र दोस्ती की,
बुनियाद रिश्तों की,
दिलों की चाहत वक्त है...

गुजरता लम्हा,
धड़कती धड़कन,
पहर रात का वक्त है...

वो तेरी सिसकी,
ये तेरी चुप्पी,
देखता सबकुछ वक्त है...

सुन 'मनु-संतान',
तुझसे भी बलवान,
पहचान तेरी हर ,
वक्त है...

वक्त है महान,
देगा तुझे मुस्कान,
पर मांगता कुछ.....
वक्त है !!



Thank you for reading.
 Pls read my words, in rythem, on woman- chote chote sukh,  Astitv,  mahila suraksha
Copyright-Vindhya Sharma

No comments:

Post a Comment