Sunday 17 February 2019

जय हिन्द

जय हिन्द


पुलवामा में शहीद हुए मेरे देश के वीरों की शहादत पर नतमस्तक होने की बजाय, भारत में रहते हुए जिसने भी इसका मुस्कान से स्वागत किया, केक काटकर जश्न मनाया, बदला पूरा होने का नारा लगाया, दुश्मन को सही ठहराया या फिर शांति से वार्ता का प्रस्ताव दोहराया, आज उन देशद्रोहियों को सबसे पहले सबक सिखाने की जरुरत है| सबक भी ऐसा की पुश्तें  तक देशप्रेम के मायने सीख जायें| जब मेरे ही देश का वासी ये कहता है की फौजी तो मरता ही है तब आभास होता है की दुश्मन का दमन तो अंदर से करने की जरुरत है| इस अंदर बैठे दुश्मन ने जो खौफ रचाया है, उस पर वार करना चाहिए, आज सबको मिलकर प्रहार करना चाहिए....



सिंह सी दहाड़ पर दुश्मन की चित्कार हो, अंत अब इन्तजार हो...
हो खौफ पर प्रहार हो, हो खौफ पर प्रहार हो…

बैरी घर में छुपा हुआ, हम में ही है मिला हुआ..
ढूंढ ढूंढ उस पर वार हो, चाहे नर हो या नार हो....

व्याकुल सत्ता को तड़प रहे, अंधे लोलुप भटक रहे..
इनकी साजिशों की धार पर खुद उनका परिवार हो,
तो विच्छन्न यह व्यापार हो…

जो शांति और वार्ता का पाठ हमें पढ़ा रहे,
वीरों की शहादत का जो जश्न हैं मना रहे, धरपकड़ सबकी इस बार हो
तो गफलत का उपचार हो…

शहीदों की विदाई पर जिस आँख में नमी नहीं, न जिस दिल में हाहाकार है..
देशद्रोही वो खोजा जाये, आतंकी वो कहलाये...
वो ना मेरे देश का हक़दार हो, न उसे जीने का अधिकार हो…

हर उस उदंडी का प्रतिकार हो, यह भाव प्रचंड विस्तार हो...
अब आर हो या पार हो पर खौफ पर प्रहार हो,
हो पर खौफ पर प्रहार हो |





2 comments:

  1. Post is a real truth of the country... It's really inspiring indeed...... Must be followed...


    कविता सही गढ़ी है - सही जोश से पढ़ी है.!
    अबाज में ललकार है - अमल की दरकार है.!!

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