भाषण के दिन बीत गए अब काम हम करवाएंगे ...
अड़सठ वर्षों में कितने चेहरे हमने परखे थे...
हमसा न था कोई, सारे ऊंचे पहुंचे अमले थे..
चलो पांच वर्ष दे देखें उसको, जो हममे से उठ खड़ा हुआ...
उनचास दिन में दिखा गया, है निस्वार्थ भाव से धुला हुआ...
वायदे जो भाषण के बोल रहे, सपने जो अब तक अनमोल रहे..
पूरे वो हो जायेंगे ये विश्वास जगाया है...
'संभव है यह', मिथ्या बोलों से नहीं कर्मों से करके दिखाया है...
हर आम आदमी ने खुद को उससे जोड़ा है...
एक नहीं अनेक उसके कामों का ब्यौरा है..
भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने चालू कर दी हेल्पलाइन...
पानी देखो मुफ्त हुआ, प्रशासन कैसा चुस्त हुआ...
बिजली के आधे दाम हुए, बंद लाल नील निशान हुए..
कच्ची बस्तियों को भी आराम हुआ, जब सीवर का सारा काम हुआ....
आम आदमी का सम्मान किया, देखो ऑटोरिक्शा आम किया...
हज़ारों परमिट और बंटे, हफ्तावसूली के दिन छंटे...
निहाल हुई दिल्ली की कौम, जब ऑडिट हुई डिस्कॉम डिस्कॉम...
करोड़ रुपया ईनाम दिया, शहीद को ऐसा मान दिया...
उनचास दिन का लेखा जोखा भी उसकी पहचान है...
सरल, शिक्षित, सुदृढ़ कजरी, अब हमारा अभिमान है...
एक और मौका उसको देंगे, उस इक गलती को भुलायेंगे...
वोट दे केजरी को, दिल्ली में हम लाएंगे..
बना CM उसे हम सरकार चलाएंगे...
अब हम सब सरकार चलाएंगे...
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