अापस को समझकर साथ साथ आगे बढ़ने की प्रारंभिक कवायद और इसी के साथ बढ़ती नई जिम्मेदारियों की अपनी व्यस्तायें होती हैं | लेकिन इन गुजरते लम्हों के साथ कब दो अलग सांसें एकदूसरे की जरूरत बन जाती हैं पता ही नहीं चलता| निसंदेह इन दोनों के बीच बातों व् विचारों का अपना ही पिटारा होता है पर इस पिटारे में वो एक सुन्दर और नाजुक सी जरूरी बात नीचे की ओर खिसकती चली जाती है, फिर कभी, बाद में बाहर निकलने ले लिए | क्या करें, विवाह संस्था ही ऐसी है हमारे इस समाज की|
आज मन ने फुसलाया कि क्यूूँ प्रतीक्षा करूँ मैं उम्र के पकने की| मैं इस प्यारी सी फुसलाहट में आकर बाहर निकाल लाई उस पिटारे से वो दिल की बात |
आज आप सभी की साक्षी में, अपने जीवनसाथी को सप्रेम समर्पित कर रही हूँ कुछ नई और कुछ पुरानी, उन्ही के लिए लिखी हुई अपनी यह पंक्तियाँ .....
हमराह
नन्हे मुन्ने स्वप्न बुने हैं,
सांझी राह पर बढ़ चले,
हाथ लिए हम हाथों में...
चहूँ ओर से सुरभित पुरवा,
सफर अपना महका रही...
धवल किरणों की तेजस देख,
पथ को उजला बना रही...
हमराह हर निखर चले,
तेरे संग के अहसास से..
राह डगमग भी न खले,
हमसफ़र तेरे साथ से..
सुन युवा न वो होने पाये,
हृदय में तेरे बसा जो बचपन...
मैं भी तुझसे पा जाऊँ,
तुझसा संयम और संवेदन ...
जीवन का हर रंग रुपहला ,
रुचिर बना हर साँझ सवेरा...
तुझ संग नव गीत बने हैं,
और बना संगीत सुनहला...
मन में अब एक आस सरस,
पलछिन में गुजरे उम्र ऐसे...
जैसे झपकी पलक और गुजर लिए,
हँसते खेलते ये चौदह बरस
Copyright-Vindhya Sharma
Copyright-Vindhya Sharma
Today...let me cherish,
those gone memories...
U came then, hold my hand...
that lil fear but heart's cheer..
a crazy fright, in starry night..
all those gone, when we walked along.
Beneath d sky our dreams fly,
all pleasure flourish in few worries..
Copyright-Vindhya Sharma
पुलकित कुमुद
झुकी इन पलकों के दर्पण में,
अजब से मन के कम्पन थे...
स्वप्नों के मौन वंदन थे...
कैसा जीवन अब रहेगा,
क्या होगा जैसा मन कहेगा?
शांत मन में कलरव था,
सहमता झिझकता वो पल था...
जो तुझ संग नव आगाज हुआ,
तो नव रंगों का आभास हुआ...
तो नव रंगों का आभास हुआ...
जीवन पुलकित कुमुद हुआ,
हर सपना मेरा मुग्ध हुआ...
मित्र, तेरा जो साथ मिला,
हर राह को परवाज मिला...
जाने कब अकुला मन कि तरल हुई,
कैसे चौदह बरस कि कल हुई!!
Copyright-Vindhya Sharma
Starry night
Today...let me cherish,
those gone memories...
U came then, hold my hand...
that lil fear but heart's cheer..
a crazy fright, in starry night..
all those gone, when we walked along.
Beneath d sky our dreams fly,
all pleasure flourish in few worries..
this journey goes wid all those..
now all around, the all I found,
so many cheers...on
Twelve lovely years, more than dears!!
now all around, the all I found,
so many cheers...on
Twelve lovely years, more than dears!!
Copyright-Vindhya Sharma
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