श्रद्धांजलि
संघर्षों का जीवन तुम्हारा, संघर्ष भरा ही अंत रहा...
कष्टों को तुमने जीया, न इक पल भी विश्राम किया...
दुःख गिरि बन जब हुआ खड़ा, देख साहस डिग पड़ा...
विधाता का निर्मम खेल रहा, उसको तुमने खूब सहा...
अनेक व्यथा संताप लिए, संतति के लिए सब जाप किये...
रख पीड़ायें अपने लिए, उन्नत जीवन हमको दिए...
आज अम्माजी तुम चली गईं, यादें सब पीछे छोड़ गईं...
तुम गुणों की खान थी, कभी हमने नहीं पहचान की...
मन बहुत पछता रहा,
अब समझ सब आ रहा...
कि...
क्यूँ तुमने जीवन जीया,
क्यूँ कहा सबकुछ खरा खरा...
सुख को क्यूँ अस्वीकार किया,
क्यूँ मन ही में सबको प्यार किया...
क्यूँ ताउम्र खाली हाथ रहीं
और क्यूँ नीम का वृक्ष बनी...
अब नयन अश्रू से पूर्ण हैं
पर हम तुमसे बड़े दूर हैं...
बड़ा कटु अहसास है,
कभी न मिलने कि आस है...
शीश नवा तुम्हे नमन करते,
श्रद्धा कि अंजुली अर्पण करते...
करबद्ध ईश का आहवान करें,
शीघ्र मोक्ष प्रदान करें...
अन्यथा...
नया तन और मन मिले,
जीवन की हर उमंग मिले...
नव तुमको जल्द जनम मिले,
सब खुशियों के संग मिले
सब खुशियों के संग मिले
Copyright-Vindhya Sharma