अल्प में भी असीमित की संतुष्टि, विपन्नता में भी सम्पन्नता का अहसास, हर स्थिति में प्रसन्न रहने की विलक्षणता कहाँ से ढूंढ लेते थे आप 'बाबा' !
सागर की तरह विशद सकारात्मकता और अद्भुत आशावाद आज कितना दुर्लभ हो गया है परन्तु आपका तो पूरा व्यक्तित्व ही जैसे इन्ही तत्वों का बना हुआ था| बड़ा ही भाग्यशाली पाती हूँ स्वयं को की दादा श्वसुर के रूप में आपका स्नेह और आशीर्वाद पा सकी मै!
अगर आपके गुणों का अंश मात्र भी अपनी संतति में पा सकी तो धन्य हो जायेगा उनका जीवन और सफल हो जाएगी मेरी परवरिश !
शत शत नमन करते हुए, खुद को समर्पित करती, मेरी पंक्ति...
संपूर्ण, समृद्ध, संपन्न थे...
सकल विश्वास से धन धन थे...
प्रेरणा दायी दृष्टि का,
हर कोण दिखाया था तुमने...
धन्य ये जीवन हुआ,
तुमसा छत्र जो पाया था हमने...
वंदन, नमन, स्मरण से,
तुमको आज पुकार रहे...
रोम रोम की श्रद्धा से,
पग आज पखार रहे...
अपने गुणों का अंश ही,
आशीष में प्रदान करो...
सदा ह्रदय पट पर बस,
"बाबा", पथ प्रकाशवान करो!!
सागर की तरह विशद सकारात्मकता और अद्भुत आशावाद आज कितना दुर्लभ हो गया है परन्तु आपका तो पूरा व्यक्तित्व ही जैसे इन्ही तत्वों का बना हुआ था| बड़ा ही भाग्यशाली पाती हूँ स्वयं को की दादा श्वसुर के रूप में आपका स्नेह और आशीर्वाद पा सकी मै!
अगर आपके गुणों का अंश मात्र भी अपनी संतति में पा सकी तो धन्य हो जायेगा उनका जीवन और सफल हो जाएगी मेरी परवरिश !
शत शत नमन करते हुए, खुद को समर्पित करती, मेरी पंक्ति...
संपूर्ण, समृद्ध, संपन्न थे...
सकल विश्वास से धन धन थे...
प्रेरणा दायी दृष्टि का,
हर कोण दिखाया था तुमने...
धन्य ये जीवन हुआ,
तुमसा छत्र जो पाया था हमने...
वंदन, नमन, स्मरण से,
तुमको आज पुकार रहे...
रोम रोम की श्रद्धा से,
पग आज पखार रहे...
अपने गुणों का अंश ही,
आशीष में प्रदान करो...
सदा ह्रदय पट पर बस,
"बाबा", पथ प्रकाशवान करो!!